क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है। क्यूँकि हर एक शख्स का कोई ठिकाना होता है।
उसी ने मुझे भीड़ से थोड़ा अलग अलग चलना सिखाया है। उसी ने मुझे भीड़ से थोड़ा अलग अलग चलना सिखाया है।
'अकल पर पत्थर पड़े नहीं होते, मैदाने जंग मे पीठ नहीं होती, उनका हर वार सीना तने होता, इन्सानियत भी उ... 'अकल पर पत्थर पड़े नहीं होते, मैदाने जंग मे पीठ नहीं होती, उनका हर वार सीना तने ...
इतना भी ना स्वाद ले सारे मसाले भर मुठ्ठी में हम पर ही उड़ेल दे। आंखो में मिर्च की ज इतना भी ना स्वाद ले सारे मसाले भर मुठ्ठी में हम पर ही उड़ेल दे। आंखो मे...
करती ख़ुद पर नाज़, सनम मैं तुमको पाकर। करती ख़ुद पर नाज़, सनम मैं तुमको पाकर।
तुमने तो कुछ कहे बिना चुन लिया हमसफ़र अपना, और मैं वफ़ा की इस राह में बस अकेली ही चल र तुमने तो कुछ कहे बिना चुन लिया हमसफ़र अपना, और मैं वफ़ा की इस राह में बस अकेल...